प्रख्यात नारीवादी लेखिका जर्मेन ग्रीयर ने अपनी प्रख्यात पुस्तक The Female Eunch में प्रेम संबंधी अध्याय लिखते हुए इसे आदर्श, परोपकारिता, अहंमन्यता, सम्मोह, रोमांस, पुरुष फंतासी, मध्यवर्गीय मिथक, परिवार और सुरक्षा के नजरिए से देखा है। जर्मेन के तर्क प्रेम से जुड़ी परंपरागतगत मान्यताओं की धज्जियां उड़ा देते हैं। 'रोमांस स्टिल लिव्ज' यह आवाज उठे भी कई दशक गुजर गए और इस दरमियान समय-समाज में कई नई स्वतंत्रताएं चली आईं। ये बातें आज 'वैलेंटाइन-डे की पूर्व संध्या पर' सहज ही याद हो आईं और आज से एक वर्ष पहले पढ़ी युवा पत्रकार विनायक राजहंस की यहां प्रस्तुत यह व्यंग्य-रचना भी। इसे आप भी पढ़िए और 'रोमांसित' होइए, वैलेंटाइन-डे की शुभकामनाओं सहित…
यह आकाशवाणी प्रेम नगर है। पेश है देश के राष्ट्रपति का वैलेंटाइन-डे की पूर्व संध्या पर देशवासियों के नाम प्रेम संदेश!
यह आकाशवाणी प्रेम नगर है। पेश है देश के राष्ट्रपति का वैलेंटाइन-डे की पूर्व संध्या पर देशवासियों के नाम प्रेम संदेश!
मेरे प्यारे भाइयों-बहनों, प्रेम के पुजारियों! वैलेंटाइन के पावन पर्व की इस संध्या पर मैं आप सभी को इस प्रेमोत्सव की बधाई देता हूं। प्रेम प्रदर्शित करने का यह पर्व यूं तो हमारे देश में पश्चिम से आयातित है, लेकिन चूंकि हमने पश्चिम की तमाम संस्कृतियों को सहर्ष गले लगाया है तो इस 'महासंस्कृति’ को भी शिरोधार्य करते हैं। आगत का स्वागत तो हमारी संस्कृति ही रही है। जो आया, हमने अपना लिया। वैसे भी हमने अपनाया ज्यादा है, खुद कम अपनाए गए हैं। जब-जब ऐसा हुआ है, इतिहास वहीं खड़ा रहा है।
जहां तक प्रेम की बात है तो यह तत्व हमारे यहां कण-कण में है। अणु-अणु में प्रेम केंद्रित है। तन में है, मन में है, धन में तो खैर है ही। हमारे देश में समय-समय पर प्रेमी पैदा होते रहे हैं। मिलते रहे हैं, बिछुड़ते रहे हैं। त्रेता युग के श्रीराम, द्बापर के गिरधारी से लेकर कलयुग के आईजी पांडा और मटुकनाथ तक प्यार का अनवरत सिलसिला जारी है और अनंत काल तक जारी रहेगा।
यह रीतिकाल की उन नायिकाओं का देश है, जो प्रेम में इतनी पगी हुई रहती थीं कि प्रेमी के विरह में उनका शरीर फायर बन जाता। उनकी देह से दिया छुआने पर बाती जल उठती थी। यह वही देश है, जहां के सोहनी-महिवाल ने कच्चे घड़े से नदिया पार की। आज ऐसे ही प्रेमियों की जरूरत है हमारे देश को। घरों में संझा बाती के लिए महिलाओं को माचिस ढूंढ़ने की जरूरत तो नहीं पड़ेगी! कहीं भी होंगी, आग लग जाएगी! वहीं अस्तित्व के संकट को लेकर रो रहे घड़े के दिन भी बहुर जाएंगे। शीरी-फरहाद हमारे देश के नहीं हैं, लेकिन यहां भी उनके अवतार की कमी नहीं है। इन्होंने आंसू तो खूब बहाए, जब सूख गए तो दूध की नदियां बहा दीं। आज ऐसे ही फरहाद ही जरूरत है, ताकि देश में दूध की कमी न हो। और भी तमाम प्रेमी हुए हैं, जो आज के दौर के लिए प्रासंगिक हैं। भारत देश की इस धरती में लविंग सल्फेट नामक खाद प्रचुर मात्रा में प्राप्त होता है, तभी तो वीर, प्रतापी, महाबली प्रेमी हमारे हिस्से आए हैं।
एक बार मैं एक स्कूल में गया। वहां दसवीं कक्षा के एक स्टूडेंट टाइप बच्चे से पूछा, 'बेटा गणतंत्र दिवस कब मनाया जाता है? उसके चेहरे पर प्लस-माइनस के संचारी भाव एक साथ प्रकट हुए, फिर जीरो-सा मुंह लेकर बोला- सर! वैलेंटाइन-डे के पहले। और वैलेंटाइन-डे कब आता है? उसने तपाक से उत्तर दिया- 14 फरवरी को।' मुझे उस बच्चे की प्रखर बुद्धि पर हैरत हुई। तसल्ली भी कि चलो काम की बातें तो उसे पता हैं। मैं आश्वस्त हो गया कि बहुत तरक्की करेगा हमारा देश।
इस समय वासंती बयार के साथ-साथ चुनाव की बयार भी चल रही है। मौसम भी होलियाना है। ऐसे माहौल में हमारे राजनेताओं का प्रेम बॉयलिंग प्वाइंट पर पहुंच जाता है। जनता से उनका प्रेम देखते ही बनता है। कभी वे मतदाता को गले लगाते हैं, कभी उनको अपना जाने कब का याराना याद दिलाते हैं। कभी श्मशान तक पहुंच जाते हैं। कहते हैं, हमें आपसे प्रेम है। आपका प्रेम ही हमें यहां तक खींच लाया है। आप अपना प्रेम बनाए रखिए मतदान तक, उसके बाद हमारा प्रेम देखिए। और वास्तव में चुनाव जीतने के बाद उनका धन-प्रेम हमें खूब दिखता है। वह अपनी फितरत से मजबूर हो जाते हैं।
मनुष्य की और भी तमाम फितरतें होती हैं। मसलन मनुष्य विवाहशील प्राणी होता है। अपनी इस प्रवृत्ति के चलते वह कई बार दुर्घटनाग्रस्त होता है, लेकिन फिर मोर्चे पर डट जाता है। जान-माल का जोखिम इसमें बहुत है। इसलिए इस प्रवृत्ति से बचें। ऐसा कुछ भी न करें, जिससे बात इस भयानक स्थिति तक पहुंच जाए।
जिनका पहला-पहला वैलेंटाइन है, वे अत्यधिक सावधानी बरतें अन्यथा वह आखिरी हो सकता है। जो पहले की तलाश में हैं, वे फर्स्ट-एड बॉक्स लेकर निकलें। क्या पता कब जरूरत पड़ जाए।
आखिर में मैं यही कहना चाहूंगा कि प्रेम मनुष्य का जन्मसिद्ध अधिकार है। इस अधिकार का प्रयोग प्रत्येक व्यक्ति को करना चाहिए। सो खूब प्यार करें, इजहार करें। लेकिन खयाल रखें, यह जो प्रेम का बहाव है, इसमें जानकारी ही बचाव है। इसलिए निगहबान रहें, सावधान रहें, लैश रहें!
मोहब्बत जिंदाबाद!