tag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post1990062692618246429..comments2023-05-30T02:57:48.487-07:00Comments on द र अ स ल : सारा सुर ही दूसरा लग गया...Unknownnoreply@blogger.comBlogger17125tag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-30708999204984146222015-09-13T21:52:05.570-07:002015-09-13T21:52:05.570-07:00 अविनाश, मैं तुम्हारी और भी रिपोर्टें पढ़ चुका हूं.... अविनाश, मैं तुम्हारी और भी रिपोर्टें पढ़ चुका हूं. यह मुझे उनसे कमज़ोर लगी. इसलिए नहीं कि रिपोर्टिंग में कमी थी, बल्कि इसलिए कि जब बाहर की दुनिया में एक हंगामा बरपा है और लोग अपनी आलोचनाओं के लिए मारे जा रहे थे (प्रो. कल्बुर्गी का क़त्ल बविष्य में छिपा था, पर दाभोलकर और पानसरे तो जा ही चुके थे) तब इस क़िस्म के चूतियापे के कार्यक्रमों का होना हिन्दी की और हिन्दी दरिद्रता को ही उजागर करता है. इन सब से ये पूछा जाना चाहिये था -- माननीय असद ज़ैदी समेत) कि नये हिटलर की ताजपोशी में आपका क्या योगदान है. हिन्दी समाज अब incestuous सम्बन्धों (अगम्यागमन) का समाज बन गया है. इसीलिए ऐसे बेधार कार्यक्रम होने लगे हैं जिसका सबूत वो दांत चियारे लोगों का चित्र है जो तुमने लगाया है.<br /> Neelabh Ka Morchahttps://www.blogger.com/profile/13893924488634756970noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-43345404468751503682015-05-04T09:53:29.175-07:002015-05-04T09:53:29.175-07:00जो कुछ थोडा बहुत देखा सुना पढ़ा है अविनाश को उसमे इ...जो कुछ थोडा बहुत देखा सुना पढ़ा है अविनाश को उसमे इस क्षमतावान और समर्थ कलम को निहायत व्यक्तिवाचक होते देखना यानि लेखन के जायके में मसाला का तत्व ज्यादा होने सा लगता है , यह रेसिपी छिद्रान्वेषी समाज में बहुत पापुलर होनी ही है परन्तु सेहत के लिए अच्छा नही .....<br /> Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/03364341393175099098noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-83247750507139599162015-05-04T09:26:02.410-07:002015-05-04T09:26:02.410-07:00यह रिपोर्ट उतनी ही रीयल है जितनी सलमान भाई का रियल...यह रिपोर्ट उतनी ही रीयल है जितनी सलमान भाई का रियलिटी शो ! Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06487011554795356608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-6915784542828589352014-04-28T05:44:44.492-07:002014-04-28T05:44:44.492-07:00http://pakshdharwarta.blogspot.in/2014/04/blog-pos...http://pakshdharwarta.blogspot.in/2014/04/blog-post.html#linksपक्षधरhttps://www.blogger.com/profile/10734052912855497992noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-83452187510947899492014-04-28T03:17:09.538-07:002014-04-28T03:17:09.538-07:00yah sahi haiyah sahi haiAnonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-86738703606764645802014-04-08T07:01:44.456-07:002014-04-08T07:01:44.456-07:00प्रिय अविनाश, "कुछ सुनी-सुनी और सूनी-सूनी बात...प्रिय अविनाश, "कुछ सुनी-सुनी और सूनी-सूनी बातों के बीच" मेरा वक्तव्य : http://pakshdharwarta.blogspot.in/2014/04/blog-post.html#linksपक्षधरhttps://www.blogger.com/profile/10734052912855497992noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-87834969465925530492014-04-07T05:09:29.855-07:002014-04-07T05:09:29.855-07:00सारा सुर ही दूसरा लग गया...
वक्तव्यों में साहित्य ...सारा सुर ही दूसरा लग गया...<br />वक्तव्यों में साहित्य और आलोचना का चिंतन कम ही <br />मुखर रहा … साहित्य और आलोचना से बांधे रखे या <br />जोड़े रखे, जैसी कि अपेक्षा हो, वैसा अमूर्त ममत्व भी यहां <br />कम ही फील हुआ…कुछ बेदिली से वक्तव्य… मंतव्य…<br /><br />अविनाश जी की रपट "नुक्ता चीं है, ग़मे दिल…" के सुर <br />में सुर ही मिलाने को मन करे… <br />GGShaikhhttps://www.blogger.com/profile/02232826611976465613noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-29036815471701206062014-04-06T21:36:57.753-07:002014-04-06T21:36:57.753-07:00अल्पना मिश्र ने अपनी मधुर आवाज में विनोद तिवारी को...अल्पना मिश्र ने अपनी मधुर आवाज में विनोद तिवारी को प्रखर आलोचक बताया तो इसलिए कि "उन्होंने एक बार उन्हे पक्षधर में छापा था.".... कहाँ जा रहे हो भई! अविनाश कुमार सिंहhttps://www.blogger.com/profile/11153674331335598854noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-10266821868093335362014-04-06T20:58:46.098-07:002014-04-06T20:58:46.098-07:00आपकी रिपोर्ट कहाँ पहुंचती है, यह भी देखा जाना चाहि...आपकी रिपोर्ट कहाँ पहुंचती है, यह भी देखा जाना चाहिए...अविनाश कुमार सिंहhttps://www.blogger.com/profile/11153674331335598854noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-58832108518029632702014-04-06T07:59:41.990-07:002014-04-06T07:59:41.990-07:00 उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि विनोद तिवारी राम... उन्होंने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि विनोद तिवारी रामविलास शर्मा से ज्यादा अच्छी अंग्रेजी जानता है, लेकिन फिर भी इसने अपने पांच पेज के पर्चे में पच्चीस अंग्रेजी शब्द इस्तेमाल किए जबकि रामविलास शर्मा ने 500 पेज की किताब लिखते हुए भी पांच से ज्यादा अंग्रेजी शब्द कभी इस्तेमाल नहीं किए।’<br />बस आयोजन की यही बात तो थी जो दुल्हे के विषय में कही गयी थी ।rabi bhushan pathakhttps://www.blogger.com/profile/18276093089412772926noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-4849949791031942762014-04-06T06:17:10.678-07:002014-04-06T06:17:10.678-07:00 वाह अविनाश जी! रिपोर्ट बिना मिर्च मसाले के कार्यक... वाह अविनाश जी! रिपोर्ट बिना मिर्च मसाले के कार्यक्रम से मसाला लेकर मसालेदार हो गया है।सबकुछ यथावत जब है तो मैनेजर पाण्डेय साब के वक्तव्य के साथ कंजूसी क्यों बरती गई? अरुणाभ सौरभ https://www.blogger.com/profile/16925433398194408388noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-28530261339302366702014-04-06T04:30:15.788-07:002014-04-06T04:30:15.788-07:00अंतिम पंक्ति बहुत मानीखेज है... फिर पता नहीं क्या...अंतिम पंक्ति बहुत मानीखेज है... फिर पता नहीं क्या हुआ...। <br />Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13562041392056023275noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-62312745268251413522014-04-06T03:32:31.941-07:002014-04-06T03:32:31.941-07:00बहुत धारदार . अनकहे में बहुत कुछ छिपा है जो पढ़ते प...बहुत धारदार . अनकहे में बहुत कुछ छिपा है जो पढ़ते पढ़ते उजागर होता चलता है.arun dev https://www.blogger.com/profile/14830567114242570848noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-40038624171408946612014-04-06T02:06:01.888-07:002014-04-06T02:06:01.888-07:00कार्यक्रम से रूबरू करा दिया आपने,शुक्रया कार्यक्रम से रूबरू करा दिया आपने,शुक्रया सुन्दर सृजक https://www.blogger.com/profile/03250365209576301112noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-4070888384851576122014-04-05T23:46:54.020-07:002014-04-05T23:46:54.020-07:00अच्छी रिपोर्टअच्छी रिपोर्टअनिता भारती (Anita Bharti)https://www.blogger.com/profile/01460885719796781124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-24735068529799387992014-04-05T23:35:54.369-07:002014-04-05T23:35:54.369-07:00पसंद आया.....फ़ॉन्ट बेहतर हो सकता है. पढ़ने में कु...पसंद आया.....फ़ॉन्ट बेहतर हो सकता है. पढ़ने में कुछ ज़्यादा कष्ट उठाना पड़ा.रंगनाथ सिंहhttp://banarahebanaras.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-64108604688737042372014-04-05T22:10:55.314-07:002014-04-05T22:10:55.314-07:00अच्छी और जीवंत रिपोर्ट। कुछ भी अतिरिक्त नहीं। जो...अच्छी और जीवंत रिपोर्ट। कुछ भी अतिरिक्त नहीं। जो नहीं शामिल थे उन्हें इसे पढकर वहां होने का चाक्षुष अनुभव मिल सकेगा। अंत में अनुराग अवस्थी ने धन्यवाद ज्ञापन किया, फिर पता नहीं क्या हुआ...। वही सब हुआ जिसकी एक झलक इस चित्र में दर्ज है। ओम निश्चलhttps://www.blogger.com/profile/12809246384286227108noreply@blogger.com