tag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post1521078753788972708..comments2023-05-30T02:57:48.487-07:00Comments on द र अ स ल : सब कुछ... और वह एक विस्थापित बुकमार्क Unknownnoreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-33756615201627408092013-10-10T12:45:07.125-07:002013-10-10T12:45:07.125-07:00आपके जीवन और आपके साहित्य की शाखा-प्रशाखा
बहुत गह...आपके जीवन और आपके साहित्य की शाखा-प्रशाखा <br />बहुत गहरी है अविनाश जी। श्री विनोद कुमार शुक्ल जी <br />की पहचानगोई में आपकी भी पहचान वाबस्ता है। कविता <br />की शास्त्रीयता में न जाकर कविता के संदर्भ में कहूं तो <br />शुक्ल जी की कविताएं मौलिक जीवन और उसके अदीम, <br />मुग्धकर व लालित्यपूर्ण ओज से लबरेज़ है । यहाँ जीवन <br />यापन भी है और अपनी जड़ों की खोजबीन भी । तुम्हारा <br />शुक्ल जी की कविताओं से यूं जुड़ना जैसे एक विरल संयोग <br />सा हो…! जैसे उनकी कविताओं में तुम रचे बसे हो वैसी ही <br />तुम्हारी इस विवेचना में वे भी रचे बसे हैं। आपका तो बहुत <br />उपकार किया विनोद कुमार शुक्ल जी ने पर वे सार्थक से भी <br />लगे आपकी उनके प्रति भावनाओं में।<br /><br />श्री विनोद कुमार शुक्ल जी की कविताएं ज़रूर पढेंगे। <br />GGShaikhhttps://www.blogger.com/profile/02232826611976465613noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-67774614409454480372013-10-09T22:16:42.265-07:002013-10-09T22:16:42.265-07:00Avinash bhaiya aapko Badhai iss lekhan ke liye Avinash bhaiya aapko Badhai iss lekhan ke liye Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/12497902544709822255noreply@blogger.com