tag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post6040488950527343081..comments2023-05-30T02:57:48.487-07:00Comments on द र अ स ल : युवा कविता : एक अपील Unknownnoreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-90553286477473492322015-08-27T08:41:22.836-07:002015-08-27T08:41:22.836-07:00 अच्युतानन्द भूल गये हैं वो लम्बी टिप्पणी जो मैने ... अच्युतानन्द भूल गये हैं वो लम्बी टिप्पणी जो मैने आज से पांच साल पहले युवा कविता पर लिखी थी और पोस्ट की थी. बस और कुछ नहीं कहूंगा. वो टिप्पणी दोबारा लगा रहा हूं. अपने मैदान में.Neelabh Ka Morchahttps://www.blogger.com/profile/13893924488634756970noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-27504800118226953812015-08-26T05:30:17.360-07:002015-08-26T05:30:17.360-07:00वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कविता की स्थिति के विवरण ...वर्तमान परिप्रेक्ष्य में कविता की स्थिति के विवरण के साथ ही सुधार के सुझाव देकर लेख को संपूर्णता प्रदान की है। बधाई शिवानी जयपुरhttps://www.blogger.com/profile/04034340278065019195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-21968360231367530622015-08-21T06:04:30.028-07:002015-08-21T06:04:30.028-07:00Bahut zaroori apeel . Is par yuva Hindi Kaviyon ko...Bahut zaroori apeel . Is par yuva Hindi Kaviyon ko dhyaan dekar amal krna hoga...Dhanyavaad Mitra Achyutanand Ji ...Avinaash Ji.<br />- Kamal Jeet Choudharyकमल जीत चौधरीhttps://www.blogger.com/profile/02329691172978131438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-49559853186338113082015-08-21T05:19:35.912-07:002015-08-21T05:19:35.912-07:00Ek zaroori apeel...Jise dhyan se sunkar amal mein ...Ek zaroori apeel...Jise dhyan se sunkar amal mein lana hoga.Dhanyavaad Bhai Achyutanand ji...Ashesh Ji.<br />- Kamal Jeet Choudhary.कमल जीत चौधरीhttps://www.blogger.com/profile/02329691172978131438noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-5177975854987327292015-08-21T05:18:27.198-07:002015-08-21T05:18:27.198-07:00महत्त्वपूर्ण बातें कहीं हैं | समकालीन कविता अपने स...महत्त्वपूर्ण बातें कहीं हैं | समकालीन कविता अपने संक्रमण काल में है ऐसे में आलोचना के नए प्रतिमान गढ़ने की आवश्यकता है | युवा कविता का यह बदला हुआ परिदृश्य एक व्यापक संवाद की माँग करता है |Rahul Devhttps://www.blogger.com/profile/15972309947622573643noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-21553445013669220052015-08-21T00:03:30.929-07:002015-08-21T00:03:30.929-07:00मुझे लगता है हमारे समय की कविता को समझने के लिए ज़र...मुझे लगता है हमारे समय की कविता को समझने के लिए ज़रूरी टूल्स नहीं है आलोचकों के पास। अशोक वाजपेयी जी से तो खैर उम्मीद भी नहीं है। बाक़ी भी बस अंधे की रेवड़ी बांटने में ही लगे हैं। गंभीर आलोचना सिरे से अनुपस्थित है। Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-304313003621164642015-08-20T22:13:41.976-07:002015-08-20T22:13:41.976-07:00अच्युता जी ने बहुत ज़रूरी बातें कही हैं। इन मुद्दों...अच्युता जी ने बहुत ज़रूरी बातें कही हैं। इन मुद्दों पर व्यापक विचार-विमर्श होना चाहिए। Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/06487011554795356608noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-2636823134946240207.post-30989298971370149412015-08-20T21:26:13.669-07:002015-08-20T21:26:13.669-07:00हमने जब आंखें खोलीं तो सिर्फ बाबरी मस्जिद का विध्व...हमने जब आंखें खोलीं तो सिर्फ बाबरी मस्जिद का विध्वंस या रूस के विघटन की चीख ही नहीं सुनी बल्कि हमें कम्प्यूटर युग और सूचना क्रांति के परिणामों से भी बावस्ता होना पड़ा। हमारे मस्तिष्क के समक्ष इस कृत्रिम मस्तिष्क को पैदा कर, हमें किस किस्म के विलगाव में रख दिया गया है, इस पर भी विचार किया जाना चाहिए। <br />बहुत सही कहा आपने ।कविता का यह संकट समय का भी संकट है ।हम जिस समय में जी रहे हैं उसमे जो बेहतर रचा जा सकता है उसे हिंदी की युवा कविता रच रही है ।अब उसे एक पाठक के तौर पर पढ़कर आप उसके भीतर के अर्थ को खोज पा रहे हैं या अपने पूर्वाग्रह के साथ निराश होकर वपास आ रहे हैं यह बहुत कुछ पाठक पर भी निर्भर करता है ।आपका मानसिक अनुकूलन युवा कविता को लेकर कैसा है यह भी महत्वपूर्ण है ।एक बात और कि संवाद कभी भी एक पक्षीय नही होता ।कई बार जब हम शीर्ष पर होते हैं तो संवाद की जरुरत नही महसूस करते । हिंदी कविता को यह त्रासदी भी झेलनी पड़ी है । जगन्नाथ दुबेhttps://www.blogger.com/profile/14460740406961789889noreply@blogger.com